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पाकिस्‍तान का विरोध दरकिनार, चीन ने तालिबान के साथ मिलाया हाथ......?

अफगानिस्तान में साल 2021 में तालिबान के दोबारा सत्ता में आने के बाद से चीन से उनके रिश्ते अच्छे रहे हैं। चीन ने बीते साल झाओ जिंग को अफगानिस्तान में अपना राजदूत बनाया था, ऐसा करने वाला चीन पहला देश था। इस पर तालिबान की ओर से खुशी जताई गई थी। चीन के इस फैसले को क्षेत्र में अपना प्रभाव मजबूत करने के प्लान के तौर पर देखा गया था। अफगानिस्तान उस क्षेत्र के केंद्र में है, जहां चीन की महत्वाकांक्षी बेल्ट एंड रोड परियोजना चल रही है। इन दोनों देशों का एक और अहम पड़ोसी पाकिस्तान है, जो चीन का खास दोस्त और इस प्रोजेक्ट में भी अहम भागीदार है। चीन, पाकिस्तान और तालिबान के नेतृत्व वाले अफगानिस्तान के बीच का रिश्ता दुनिया का ध्यान खींच रहा है क्योंकि तीनों देश सुरक्षा चिंताओं और भू-राजनीतिक दबावों का भी सामना कर रहे हैं।
द डिप्लोमैट की रिपोर्ट के मुताबिक, सुरक्षा के नजरिए से चीन और पाकिस्तान दोनों अफगानिस्तान को अपने-अपने क्षेत्रों में आतंकी गतिविधियों के प्रसार के खिलाफ एक महत्वपूर्ण सुरक्षा बफर के रूप में देखते हैं। इसी के नतीजे में चीन और पाकिस्तान ने तालिबान को अपने हितों की रक्षा के लिए एक अच्छे विकल्प के तौर पर चुना है। तालिबान दोनों के लिए अहम है क्योंकि उसने अफगानिस्तान के अधिकांश हिस्सों पर नियंत्रण किया हुआ है।

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