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आमी नदी के प्रदूषित जल से बढ़ा मच्छरों का प्रकोप...

गोरखपुर/रिपोर्ट/कृष्ण मुरारी तिवारी कबीर के साधना की मूक साक्षी रही और उनके निर्वाण स्थल मगहर से बहने वाली यह नदी आज प्रदूषण और अतिक्रमण का शिकार होकर आज एक गंदे नाले का रूप ले चुकी है। युगों के बदलते इतिहास की प्रत्यक्षदर्शी आमी नदी जिसे अम्बिका या बुद्ध के काल में अनोमा नदी के नाम से भी जाना जाता है। कबीर की गंगा कहाने वाली आमी नदी आज कबीर पंथियों और आम लोगों के लिए जानलेवा बन चुकी है।जिसका सबसे बड़ा वजह आसपास व अन्य जिलों में स्थापित औद्योगिक इकाइयों से निकलने वाले कचरे का इस नदी में विसर्जन है।
वर्तमान में आमी नदी इस कदर प्रदूषित हो गई है कि पूरा पानी काला पड़ चुका है।भूलकर जानवर भी पी ले तो वह काल के गाल में समा जाता है। कभी आमी नदी के शीतल जल से प्यास बुझाते थे लोग आमी नदी का जल इतना स्वच्छ और शीतल हुआ करता था कि आमी नदी के किनारे बसे गांव के लोग इसके शीतल जल से अपनी प्यास बुझाया करते थे। यहां तक कि किसान जब चिलचिलाती धूप में गेहूं खेत की कटाई कछार में करवाते थे तो इसी आमी नदी का शीतल जल पीकर अपनी प्यास बुझाते थे। इसके साथ साथ आमी कछार क्षेत्र के लोग इसके जल से फसलों की सिंचाई किया करते थे। और आज इसके प्रदूषण के कारण कोसो दूर रहना लोग चाह रहे है। मछुआरों के आय का साधन हुआ करती थी आमी नदी कभी आमी नदी मछुआरों के आय का साधन हुआ करती थी पूरे साल मछुआरे इस आमी नदी में मछली मारकर अपने पूरे एक्सपरिवार का भरण पोषण करते थे।आज इस नदी का पानी इतना विषैला हो गया है कि अब इसमें एक भी मछली या पानी के अन्दर रहने वाले जानवर नहीं मिलेंगे। आमी नदी के प्रदूषित होने से बढ़ा मच्छरों का प्रकोप आमी नदी के प्रदूषित जल के कारण मच्छरों का प्रकोप बढ़ गया है।जल इतना प्रदूषित है कि इसका बदबू कई किलोमीटर तक है जैसे जैसे हवा बहती है बदबू उधर फैलता रहता है। बदबू के साथ साथ पानी एकदम काला पड़ चुका है । लोगों में डेंगू और मलेरिया का प्रकोप बढ़ने का खतरा मंडरा रहा है। सरकार का कहना है कि मलेरिया और डेंगू के मच्छर कही न पनपने पाए।अब इसका रोकथाम कैसे करेंगे ये सरकार के लिए बहुत बड़ी चुनौती है। आमी नदी का अस्तित्व खतरे में इस नदी को पवित्र करने और साफ सफाई के नाम पर तमाम राजनैतिक पार्टियों के अलावा साधु संतो द्वारा समय समय पर आंदोलन भी किए लेकिन आज तक अपने अस्तित्व को तलाशती आमी नदी की धार को साफ नहीं किया जा सका। इसके विपरित आने वाले दिनों में ये ऐतिहासिक एवं पवित्र नदी खत्म जरूर हो जायेगी। सरकारी स्तर पर कभी भी इस नदी को प्रदूषण मुक्त कराने की इच्छाशक्ति नही दिखाई गई जिसके चलते आज यह पवित्र नदी अपनी बदहाली पर आंसू बहा रही है। इस आमी नदी को पार करके बड़े बड़े नेताओं,समाजसेवीयों और अधिकारियों का आना जाना रोजाना लगा हुआ है देखिए कब तक इन लोगों का ध्यान पर जाता है।
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