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पाकिस्तान पर मेहरबान तो बांग्लादेश पर टेढ़ी निगाह, भारत के पड़ोस में अमेरिका की गंदी हरकत

पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर इस समय अमेरिका में हैं। इस दौरान उन्होंने अमेरिकी रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन और विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन से मुलाकात की। माना जा रहा है कि जनरल मुनीर ने संविधान के अनुच्छेद 370 पर आए भारतीय सुप्रीम कोर्ट के फैसले के साथ-साथ अफगानिस्तान के हालात पर चर्चा की। असीम मुनीर की यात्रा ऐसे समय में हो रही है, जब एक सप्ताह पहले खैबर पख्तूनख्वा के डेरा इस्माइल खान में पाकिस्तानी सुरक्षा बलों की चौकी पर TTP आतंकियों ने हमला किया था। इसमें 23 पाकिस्तानी सैनिक मारे गए थे। 


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हालांकि पाकिस्तान में जहां अमेरिका सेना के शासन से खुश है तो वहीं भारत के दूसरे पड़ोसी बांग्लादेश में लोकतंत्र की बात कर रहा है। अमेरिका लगातार बांग्लादेश की पीएम शेख हसीना को पूरी ताकत के साथ निशाना बना रहा है। पाकिस्तान आर्मी के विपरीत शेख हसीना ने देश में विकास भी किया बल्कि कट्टरपंथियों पर लगाम लगाकर रखी। बांग्लादेश में अगले साल होने वाले चुनाव से पहले लगातार अमेरिका स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव की बात करता रहा है। ऐसा न करने पर प्रतिबंधों की धमकी दी है।

अमेरिका की हिपोक्रेसी आई सामने

अमेरिका के दोहरे रवैए को देख कर लगता है कि वह और उसके सहयोगी एक बार फिर 1971 की गलती दोहराना चाहते हैं। जिसमें वह बांग्लादेश में होने वाले नरसंहार पर पाकिस्तान के साथ थे। अमेरिका लगातार शेख हसीना से विपक्षी दल बीएनपी को जगह देने को कह रहा है। इससे अमेरिका बांग्लादेश में एक ऐसे शासन का समर्थन कर सकता है, जो मानवाधिकारों के मुद्दों पर बदतर होगा। साथ ही चीन के साथ खड़ा होगा जो भारत के लिए चिंता वाली बात होगी। बांग्लादेश में अमेरिका का हस्तक्षेप बीएनपी और उसकी सहयोगी जमात-ए-इस्लामी के कट्टरपंथियों के उदय का कारण हो सकता है। साथ ही उसे चीन के करीब भी धकेल सकता है। अमेरिका अभी बांग्लादेश में लोकतंत्र की दुहाई दे रहा है, वहीं पाकिस्तान में सेना के समर्थन में है, जो उसकी हिपोक्रेसी दिखाते हैं।


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