हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने राज्य सरकार को बड़ी राहत देते हुए 12,460 सहायक अध्यापकों के चयन को रद्द करने के एक नवंबर, 2018 के एकल पीठ के निर्णय को खारिज कर दिया है। न्यायमूर्ति एआर मसूदी व न्यायमूर्ति ओम प्रकाश शुक्ला की दो सदस्यीय खंडपीठ ने अपने आदेश में कहा कि अच्छी शिक्षा के लिए हमेशा मेरिट को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। योग्य अभ्यर्थियों को नियुक्ति से इन्कार करना उचित नहीं है। इसी के साथ न्यायालय ने उक्त भर्ती के क्रम में बचे हुए 6,470 पदों के लिए कामन मेरिट लिस्ट जारी करते हुए तीन माह में इन्हें भरने का भी आदेश राज्य सरकार को दिया है। खंडपीठ ने यह आदेश मोहित कुमार द्विवेदी व अन्य चयनित अभ्यर्थियों की ओर से दाखिल 19 विशेष अपीलों पर एक साथ सुनवाई करते हुए पारित किया। उक्त भर्तियों के लिए 21 दिसंबर, 2016 को विज्ञापन जारी करते हुए चयन प्रक्रिया प्रारंभ की गई थी।
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दो सदस्यीय खंडपीठ ने एकल पीठ के निर्णय को खारिज करते हुए अपने आदेश में कहा कि जिन जिलों में कोई रिक्ति नहीं थी, वहां के अभ्यर्थियों को काउंसलिंग के लिए किसी भी जिले को प्रथम वरीयता के तौर पर चुनने की छूट देने में कोई त्रुटि नहीं है।अपने आदेश में न्यायालय ने राज्य सरकार द्वारा सुनवाई को बार-बार टलवाने और यथोचित सहयोग न किए जाने की आलोचना भी की। न्यायालय ने यह भी पाया कि 12,460 सहायक शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया के क्रम में फिलहाल 5,990 अभ्यर्थी ही नियुक्ति प्राप्त करने के उपरांत काम कर रहे हैं। ऐसे में बचे हुए 6,470 पदों पर भी तीन माह में भर्ती संपन्न की जाए।