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2019 की तर्ज पर 2024 का लोकसभा चुनाव लड़ेगी बीजेपी सरकार

 कानपुर :

भारतीय जनता पार्टी की लोकसभा चुनाव 2024 की तैयारियां दिखने लगी हैं। बीजेपी आगामी लोकसभा चुनाव 2019 की तर्ज पर लड़ेगी। संगठन ने कानपुर-बुंदेलखंड क्षेत्र की सभी 10 लोकसभा सीटों पर विस्तारकों की तैनाती कर दी है। बीजेपी कानपुर-बुंदेलखंड के जिस विधानसभा में कमजोर है और उसे जिन क्षेत्रों में ज्यादा मेहनत करने की जरूरत है, उन विधानसभा सीटों पर भी विस्तारकों को तैनात किया गया है। दरअसल विस्तारकों को संगठन की रीढ़ की हड्डी माना जाता है। जीत की आधारशिला और ब्लू प्रिंट विस्तारक ही तैयार करते हैं। कानपुर-बुंदेलखंड बीजेपी का सबसे मजबूत गढ़ है। बीते लोकसभा चुनाव 2019 में बीजेपी ने कानपुर-बुंदेलखंड की 10 लोकसभा सीटों में से 10 सीटों पर कमल खिलाया था। समाजवादियों का गढ़ कहे जाने वाले कन्नौज और इटावा में भगवा लहरा दिया था। 


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बीजेपी ने लोकसभा चुनाव 2019 में भी कानपुर-बुंदेलखंड में विस्तारकों को उतारा था। इसके साथ ही विधानसभा चुनाव 2022 में भी कानपुर-बुंदेलखंड की 52 विधानसभा सीटों पर विस्तारकों को तैनात किया था। इसका नतीजा यह हुआ कि बीजेपी ने विधानसभा चुनाव 2022 में कानपुर-बुंदेलखंड की 52 में से 41 सीटों पर जीत दर्ज की थी, जबकि 11 सीटें सपा के खाते में गईं थीं। लोकसभा चुनाव 2019 के चुनाव में बुआ-बबुआ की जोड़ी भी कमाल नहीं दिखा पाई थी। बीजेपी ने कानपुर-बुंदेलखंड की सभी 10 लोकसभा सीटों पर विस्तारकों को उतार दिया है। इसमें कानपुर लोकसभा सीट पर पीलीभीत के सुमित जायसवाल को विस्तारक बनाकर भेजा गया है।


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 कानपुर देहात की अकबरपुर लोकसभा सीट पर गोंडा के हिमांशू सिंह को भेजा गया है। विस्तारकों को प्रतिदिन किसी मंडल या शक्ति केंद्र में प्रवास करना होगा। बूथ प्रबंधन और उनकी ग्रेडिंग करने, बूथ कार्यकारिणी को एक्टिव करने, बूथ स्तर पर लाभार्थी प्रमुख, मन की बात प्रमुख, कार्यक्रम प्रमुख, स्मार्ट फोन चलाने वाले युवाओं को सोशल मीडिया से जोड़ने और बाइक सवार युवाओं को सक्रिय कर बूथ टोली बनाने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। विस्तारकों को संगठन की रीढ़ की हड्डी कहा जाता है। विस्तारक होने के लिए कुछ नियम और शर्तें भी हैं। संगठन जिन्हें विस्तारक बनाता है, उन्हें ट्रेनिंग दी जाती है। इसके साथ ही विस्तारक कम उम्र के लोगों को बनाया जाता है, शर्त है कि अविवाहित होने चाहिए। विस्तारक कुछ जोड़ी कपड़े लेकर घर से निकलते हैं। इसके बाद कई-कई महीनों तक घर नहीं जाते हैं। कई विस्तारक तो एक साल तक घर नहीं जाते हैं। उन्हें जिस क्षेत्र में तैनात किया जाता है, वहां संगठन की तरफ से विस्तारक का एक अभिभावक भी बनाया जाता है। अभिभावक विस्ताकर के खाने, रहने और जरूरत की चीजों को मुहैया कराता है।




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